मुक्तक

*मुक्तक


                                          अनिता मंदिलवार सपना 

किनारे सागर के कभी डूबा नहीं करते ।
गुजर जाता है वक्त, कदम थमा नहीं करते ।।
रहकर खुश, बाँटो खुशियाँ, हँसते रहो हरदम ।
किसी की परेशानियों पर, हँसा नहीं करते ।।

क्यों करते चिड़ियों सा, तुम कैद पिंजरे में ।
ख़्वाब दिल में ही रहें, क्यों फँसते खतरे में ।।
पाबंदी न लगाओ, मुहब्बत में अब सपना ।
अपना जान क्यों देते, अक्सर वो सदमें में ।।

अनिता मंदिलवार सपना
अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़

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