बचपन याद दिलाता एक गीत
बिम्ब पुत्र प्रतिबिम्ब पौत्र हैं, जहाँ बुढापा रीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
खो-खो कँचें रस्सी कूदो, और पुराना खेल गया।
गिल्ली डंडा, चोर सिपाही, गिट्टे का वो मेल गया।
कहाँ बैल हैं घुँघरू उनके, रहटों का संगीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
नीचे घर ऊंची मर्यादा, गाँव गाँव में मिलती थी।
सिर पे पल्लू हया आँख में, सुंदरता तब खिलती थी।
देख चलन आधुनिक काल के, मन क्यों हो भयभीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
बागों के वो ताज़ा फल जो, चोरी चुपके खाते थे।
माली ले उल्हाना घर तक, पीछे पीछे आते थे।
झूल झूलते थे सावन में, आधा रह वो गीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
केवल कागे स्वर आलापें, कोयल का स्वर भूल गए।
मित्र निभाते जहाँ मित्रता, अब तो वो घर भूल गए॥
धरा धारती हरित वसन जब, सरसों बूटी चीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बिम्ब पुत्र प्रतिबिम्ब पौत्र हैं, जहाँ बुढापा रीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
खो-खो कँचें रस्सी कूदो, और पुराना खेल गया।
गिल्ली डंडा, चोर सिपाही, गिट्टे का वो मेल गया।
कहाँ बैल हैं घुँघरू उनके, रहटों का संगीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
नीचे घर ऊंची मर्यादा, गाँव गाँव में मिलती थी।
सिर पे पल्लू हया आँख में, सुंदरता तब खिलती थी।
देख चलन आधुनिक काल के, मन क्यों हो भयभीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
बागों के वो ताज़ा फल जो, चोरी चुपके खाते थे।
माली ले उल्हाना घर तक, पीछे पीछे आते थे।
झूल झूलते थे सावन में, आधा रह वो गीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
केवल कागे स्वर आलापें, कोयल का स्वर भूल गए।
मित्र निभाते जहाँ मित्रता, अब तो वो घर भूल गए॥
धरा धारती हरित वसन जब, सरसों बूटी चीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया॥
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बहुत खूबसूरत रचना।लावणी छंद पर आधारित मनमोहक सृजन ...नमन आप की लेखनी को 🙏🙏🙏
ReplyDeleteनीचे घर ऊंची मर्यादा, गाँव गाँव में मिलती थी।
ReplyDeleteसिर पे पल्लू हया आँख में, सुंदरता तब खिलती थी।
देख चलन आधुनिक काल के, मन क्यों हो भयभीत गया।
उत्तम और श्रेष्ठ था बचपन, अपना था जो बीत गया.. बहुत सुंदर रचना
Sundar rachna
ReplyDeleteसार्थक और सुंदर।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन.
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