*!!नवरात्रा!!*
~दोहा छंद~
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हे! महिषासुर मर्दिनी, शूलधारिणी मात।
महातपा सुरसुंदरी, नाम बड़े विख्यात।।

मात भवानी अम्बिके, दुर्गा रूप अनेक।
वन्दन माँ तेरा करूँ, चरणों माथा टेक।।

शेरावाली आज तो, आना मेरे द्वार।
शीश हाथ रख दीजिए, मेरी यही पुकार।।

आदि भवानी आप हो, इस जग की करतार।
हम सेवक भोले सभी, करिये नौका पार।।

आओ माँ विनती करें, सजा आज दरबार।
दर्शन दो माँ चंडिका, सबके कष्ट निवार।।

नौ रातों के रूप को, करता कोटि प्रणाम।
जीवन परहित में लगे, रहे यही बस काम।।

हर बेटी दुर्गा समा, जग में बने महान।
रहे सुरक्षित हर जगह, इतना दो वरदान।।

मैं खोटा किंकर सदा, आप सुधारो काज।
कहे 'सुमा' जग में रखो, माता मेरी लाज।।
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*✍प्रजापति कैलाश 'सुमा'*
ढिगारिया कपूर,
मेहन्दीपुर बालाजी, दौसा, राजस्थान।

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