संजय कौशिक 'विज्ञात' जी का बहुत पसंद किया जाने वाला गीत
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
देख अक्षर मौन हैं अब
शांत हैं सब भाव मेरे
मंद है बेशक कलम पर
जानती है घाव मेरे
इस हवा से जब छिपाये
रक्त रंजित स्राव मेरे
सागरों की उर्मियों में
भी बसे अब गीत मेरे
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
हो सके तो छोड़ दे तू
इस कलम से खेलना फिर
मुक्त अभिव्यक्ति लिखेगी
तो सहज हो झेलना फिर
बन्द करना ये पड़ेगा
तू करे अवहेलना फिर
दाव पर मैं स्वप्न मेरे
हारते तब जीत मेरे
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
बादलों ने पीर गाई
घाटियाँ गुंजित हुई तब
लेखनी की वेदना से
वेदना कंपित हुई तब
बिम्ब बनते कथ्य के बिन
बात वो लंबित हुई तब
आज तक अटकी हुई जो
भाग्य की वो रीत मेरे
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
संजय कौशिक 'विज्ञात'
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
देख अक्षर मौन हैं अब
शांत हैं सब भाव मेरे
मंद है बेशक कलम पर
जानती है घाव मेरे
इस हवा से जब छिपाये
रक्त रंजित स्राव मेरे
सागरों की उर्मियों में
भी बसे अब गीत मेरे
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
हो सके तो छोड़ दे तू
इस कलम से खेलना फिर
मुक्त अभिव्यक्ति लिखेगी
तो सहज हो झेलना फिर
बन्द करना ये पड़ेगा
तू करे अवहेलना फिर
दाव पर मैं स्वप्न मेरे
हारते तब जीत मेरे
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
बादलों ने पीर गाई
घाटियाँ गुंजित हुई तब
लेखनी की वेदना से
वेदना कंपित हुई तब
बिम्ब बनते कथ्य के बिन
बात वो लंबित हुई तब
आज तक अटकी हुई जो
भाग्य की वो रीत मेरे
व्यंजना कितनी समेटूं
पृष्ठों पर मनमीत मेरे
संजय कौशिक 'विज्ञात'
बहुत शानदार रचना 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर
भावों का अद्भुत संयोजन
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन।
अति उत्तम
ReplyDeleteहो सके तो छोड़ दे तू
ReplyDeleteइस कलम से खेलना फिर
मुक्त अभिव्यक्ति लिखेगी
तो सहज हो झेलना फिर
बन्द करना ये पड़ेगा
तू करे अवहेलना फिर
सच में तलवार की धार पर चलने जैसा ही है।
बहुत सुंदर गीत
ReplyDeleteबादलों ने पीर गाई
ReplyDeleteघाटियाँ गुंजित हुई तब
लेखनी की वेदना से
वेदना कंपित हुई तब
बिम्ब बनते कथ्य के बिन
बात वो लंबित हुई तब
ब्शुत मनमोहक और संवेदनाओं को झंकृत करता मधुर गीत आदरणीय संजय जी | बहुर अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर | सादर
अद्भुत 👌 👌 बहुत सुन्दर आदरणीय
ReplyDeleteबहुत सुंदर गीत ,बधाई आ0
ReplyDeleteगीत पढ़ कर बहुत प्रसन्नता हुई । गीत लिखने के लिए सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत
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