कुण्डलिया





🙏 *कुण्डलिया की कुण्डलियाँ।*🙏
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*कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।*
*दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।*
*इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये।*
*उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।*
*कहे 'अमित' कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।*
*शब्द चयन है सार, शिल्प अनुपम कुंडलिया।*


*रोला दोहा मिल बनें, कुण्डलिया आनंद।*
*रखिये मात्राभार सम, ग्यारह तेरह बंद।*
*ग्यारह तेरह बंद, अंत में गुरु ही आये।*
*अति मनभावन शिल्प, शब्द संयोजन भाये।*
*कहे 'अमित' कविराज, छंद यह मनहर भोला।*
*कुण्डलियाँ का सार, एक दोहा अरु रोला।*
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✍ *कन्हैया साहू 'अमित'*✍
© भाटापारा छत्तीसगढ़ ®

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