
अपने प्रिय जनों को समर्पित--- *अपने* सब मिलकर रहें, पूर्ण करें सब *काम*। *काम* विकारों से परे, *धाम* वही सुख *धाम* *धाम* वही सुख *धाम*, पुष्प सा होता *विकसित* *विकसित* हो परिवार, नहीं वे होते *व्यवसित* *व्यवसित* कवि के भाव, लगे हों मानो *तपने* *तपने* लगते गैर, शांति पाते हैं *अपने* संजय कौशिक 'विज्ञात' काम - कार्य, काम विकार धाम - घर , तीर्थ विकसित - खिला हुआ , विकास व्यवसित संस्कृत शब्द विशेषण से अर्थ क्रमानुसार - धैर्यवान , तत्पर बनते हैं संज्ञा से क्रमानुसार - छल, निर्धारण बनते हैं तपने - तपस्या, तप्त/ गर्म होना