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Showing posts from November, 2019
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#दिनांक 👉 26/11/2019 #रस 👉 #शांत_रस #विधा 👉 #दोहा-छन्द """""""""""""""""""""""""""""""""""""""" जिसके अंतर्मन बसा, मानवता का रूप। जग में नित करता भला, होता ईश स्वरूप।।०१।। बड़े भाग तन मनुज का, मिले सुखों का भोग। सत्संगति मिलती तभी, हो अच्छा संयोग।।०२।। सब घट वासी राम को, जाने संत सुजान। समदर्शी बनता वही, जिसे है आत्मज्ञान।।०३।। अपने घट की जान लो, मत भटको चहुँ ओर। ईश्वर हर घट में बसे, घट में ही है चोर।।०४।। तन की चाल सुधार लो, मन का मेटो खोट। जो वाणी वस में रखे, उसे प्रभो की ओट।।०५।। बाहर भटके से कभी, मिलें नहीं भगवान। अपनी करनी देख ले, अंतर्मन को जान।।०६।। घट की बातें सब करें, देख न पावे कोय। कैसे अन्तर्जगत में, भला बुरा सब होय।।०७।। धर्मवान हो बाप जी, गुणवंती हो नार। कर्मशील संतान हो, सुखी रहे परिवार।।०८।। व्यर्थ कभी मत खोइए, जीवन है अनमोल। अंतर्मन में द...
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दिनांक:-14/11/2019 दिवस:- बुधवार(बाल दिवस) विधा:- चौपाई छंद *!!बचपन!!* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 बचपन अब इठलाता घूमे। चलती दुनियाँ में वो झूमे।। मोबाइल से हेत लगा है।   गूगल उसका आज सगा है। नहीं सुने अब प्यारी लोरी। करे न माखन की अब चोरी।। नहीं खेलता मीत संग में। नेट बसा अब अंग अंग में।। बचपन सुने न रात कहानी। अब तो मोबाइल है नानी।। बड़ा हुआ अब पीते-खाते। संस्कार सब भूलते जाते।। ये तो हुई महल की बातें। सुनो झोंपडी की अब रातें।। दीन हीन घर पैदा होकर। खावे बचपन दर दर ठोकर।। हृदय प्रेम का सागर भारी। भरी मोती से चक्षु झारी।। निश्छलता बसती है मन में। फिर भी काँटे हैं जीवन में।। हे! रब कैसी ये मजबूरी। बचपन सुख से कितनी दूरी।। उथल-पुथल मय जीवन सारा। कहाँ भटकता बचपन प्यारा।। भारत भाग्य कहाँ सोता है। छिपकर के बचपन रोता है। भूख पेट की बड़ी सयानी। कर दे बचपन पानी-पानी।। सुनो योजना संसद पन्ने। बचपन हित होवो चौकन्ने।। आँचल कंधा तुम भी जानो। उस बचपन के दिल की मानो।। कहे 'सुमा' दिल से ये बातें। जाग न पाए बचपन रातें। मानव हो मानवता धरना। बचपन हित में क...