पीयूष वर्ष

छंद- पीयूष वर्ष (आधारित गीत) शिल्प विधान 10,9 पर यति प्रति 2 चरण समतुकांत 3, 10, 17 वीं मात्रा लघु अनिवार्य 2 मात्रा भार को 11 लिखने की छूट नहीं मापनी 2122 2122 212 भूमि धारे धीर, ऐसी धीरता। काट दे जो शीश, वो ही वीरता॥ रोप दें ये बीज, योद्धा रक्त के। बाग हों तैयार, ऐसे वक्त के॥ शक्त के हैं काज, छाती चीरता काट दे जो शीश, वो ही वीरता॥ ध्वस्त होते नित्य, वो षड्यंत्र हैं। सिद्ध वाणी सोच, सारे मंत्र हैं॥ यंत्र हैं वो नाद, देखो क्षीरता काट दे जो शीश, वो ही वीरता॥ आज बातें आम, होती देश से। शांत हो माहौल, क्या है क्लेश से॥ भेष से ही पस्त, ये गंभीरता काट दे जो शीश, वो ही वीरता॥ संजय कौशिक 'विज्ञात'